श्री जगन्नाथ अष्टकम (Shri Jagannath Ashtakam)
श्री जगन्नाथ अष्टकम(Shri Jagannath Ashtakam) कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलोमुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपःरमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदोजगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे ॥१॥ भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटेदुकूलं नेत्रान्ते सहचर–कटाक्षं विदधते ।सदा श्रीमद्–वृन्दावन–वसति–लीला–परिचयोजगन्नाथः स्वामी नयन–पथ–गामी भवतु मे ॥२॥ महाम्भोधेस्तीरे कनक रुचिरे नील शिखरेवसन् प्रासादान्तः सहज बलभद्रेण बलिना ।सुभद्रा मध्यस्थः सकलसुर सेवावसरदोजगन्नाथः […]
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